भोपाल गैस कांड की कहानी [Date, Case Study, Summary] | Bhopal Gas Tragedy Hindi Case Study

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भोपाल गैस कांड की जहरीली गैस से हमारे हजारो लोगो को कुर्बानी देनी पड़ी थी और इसका प्रभाव आज भी देखने को मिल रहा है क्योकि कई बच्चे अभी भी अपंग पैदा हो रहे है।

3 दिसंबर 1984 की मध्य रात्रि में भोपाल में अमेरिका की एक कम्पनी जो कीटनाशक पदार्थ बनाती थी उस रात टैंक नंबर 610 में मिथाइलआइसो साई नाइट (MIC) गैस लिक हो गया।

गैस लिक से करीब 15,000 से अधिक लोगो की मृत्यु हो गई और अभी भी 5 लाख से ज्यादा लोग परेशांन है।

Bhopal Gas Tragedy में अलग अलग गणनाएं सामने आती है जिसमे मौत का सही अनुमान लगाना मुश्किल है।

4 दिन बाद इस कंपनी यूनियन कारबाइट के मालिक वारेन एंडरसन को पुलिश गिरप्तार करती है लेकिन कुछ खास सजा नहीं मिल पाती तो इसकी पूरी चर्चा अभी करेंगे।

भारत में कंपनी की शुरुआत

भारत में आज़ादी के लगभग 22 साल बाद 1969 में एक अमेरिकी कीटनाशक कंपनी जो भोपाल में स्थापित हुई जो कीटनाशक दवाई बनाती थी कुछ दिन बाद यू सी आई एल(यूनियन कारबाइट) (MIC) मिथाइलआइसो सायनाइट गैस।

इसके मालिक वारेन एंडरसन रहे जो अमेरिका निवासी थे जिनकी मृत्यु 2004 में हुई।

3 दिसम्बर की पुरी कहानी

3 दिसम्बर की काली रात बेहद सर्दी का मौसम लोग आराम से रजाई में सो रहे थे क्योकि दिसम्बर में भोपाल में काफी सर्दी होती है रात के करीब 11 बज चुके थे।

कुछ समय बाद 12 बजे के आसपास बादल पर काले रंग का धुँआ फैलने लगा और अभी लोगो को कुछ भी पता नहीं है क्योकि रात काफी ज्यादा हो गई थी और ऊपर से ठंठ का मौसम।

धीरे धीरे ये धुँआ भोपाल शहर में फैलने लगा क्योकि हवा का झोंका शहर की तरफ था। इस समय रात में भोपाल रेलवे स्टेसन पर चहल पहल था तो यहा भी गैस फैलने लगा जिससे अचानक यहाँ पर लोग खाँसने लगे किसी को साँस लेने में तकलीफ तो अचानक से अफरा तफरी मचने लगी और लोग इधर उधर भागने लगे तो मामला और बिगड़ता गया।

क्योकि भागने पर आपको और ज्यादा साँस लेना पड़ेगा और जहरीली गैस आपके शरीर में ज्यादा से ज्यादा घुलेगा और ये गैस 3 बार अंदर लेने पर अपना असर दिखाना चालू कर देता है।

तो इस तरह से MIC गैस शहर में फैल रहा था हवा का झोका शहर की तरफ होने के कारण फैलता गया इस समय लोगो को समझ में नही आ रहा था की क्या हो रहा है सब अस्पताल की ओर भागने लगे डॉक्टर भी परेशान की अचानक इतनी भीड़ क्यों और सबकी एक ही परेशानी ।

इस तरह से लोग इधर उधर भागने लगे कई लोग जो घर में अच्छे से रजाई ओढे हुए थे तो उतना परेशानी नही आया और इधर रात में ही लोग सड़को पर कही चौराहे पर बेहोस पड़े तो कई लोग की मृत्यु और लोग बेसुध अवस्था में पाये गए।

तो इस तरह से एक ही रात में करीब 1000 लोगो की मृत्यु हुई वैसे ये सरकारी हिसाब है इसका सही हिसाब 10,000 है जो एक ही रात की है।

उसके बाद सुबह हुई तो पता चलता है की शहर में स्थित यूनियन कारबाइट (Union Carbyte) कारखाने में टैंक नम्बर 610 से मिथाइलआइसो सायनाइट गैस (MIC) लिक हो गया है और इसका रिसाव हो रहा है और पूरा गैस शहर की तरफ फ़ैल रहा है।

जो लगभग 40 टन गैस का रिसाव हुआ और भोपाल शहर में फैल गया।

लोगो की मृत्यु और प्रभावित (Bhopal Gas Tragedy In Hindi)

भोपाल गैस रिसाव में अलग अलग हिसाब निकलता है और सही जानकारी आज तक कोई नहीं दे पाया है। पहले इसकी गणना के आधार पर 2259 लोगो की मृत्यु और MP सरकार के हिसाब से 3,787 लोगो की जान गई कोई कहता है 8,000।

लेकिन आप जानते ही है की सरकार जानकारी छुपाती है क्योकि इनके सही जानकार लोगो का कहना है की पहली रात लगभग 10,000 लोगो की मृत्यु और पूरा मामला मे 30,000 लोगो को जान गवानी पड़ी थी।

भोपाल गैस कांड से अभी भी 558,125 लोग प्रभावित है और आज भी ये शहर में प्रभाव मिलता है जिससे बच्चे अपंग और विकलांग है।

भोपाल गैस कांड करवाई (Bhopal Gas Kand)

जब ये गैस से हज़ारो लोग प्रभावित हुए तो करीब 4 दिन बाद यूनियन कारबाइट के मालिक वारेन एंडरसन को गिरप्तार कर लिया गया।

लेकिन इसको कुछ खास सजा नहीं मिला ऊपर से इनका VIP की तरह देखभाल हुआ और स्पेशल विमान से इसको दिल्ली लाया गया और यही इनको अमेरिका भेज दिया इनको जुर्माने के तौर पर 2100$ लिया गया तो इतनी बड़ी घटना के लिए मामूली बात है।

कुछ दिन बाद अमेरिका से वारेन एंडरसन हर्जाने के तौर पर 700 करोड़ देने का ऐलान किया जिसकी गणना आप पर 1 व्यक्ति करेंगे तो मौत का कीमत मात्र 12,000 रूपये आएगा इतनी बड़ी भारत की दुर्दशा करके चला गया और सरकार उसको छोड दिया।

कुछ दिन बाद वारेन एंडरसन विलुप्त सा हो गया उसके बाद अचानक 2004 में खबर आती है की उनकी मृत्यु हो गई।

तो ये थी इतनी बड़ी घटना या आप कह सकते है आफत Bhopal Gas Tragedy In Hindi में जिसमे हजारो बेकसूर लोगो को जान गवानी पड़ी

कैसी लगी जानकारी हमें जरूर बताये और हो सके तो शेयर भी करे।

आपका प्रेम पूर्वक धन्यवाद,

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