कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली [अर्थ, Kahani] | Raja Bhoj And Gangu Teli Story

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आपने कभी ना कभी कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली (Kaha Raja Bhoj Kaha Gangu Teli) कहावत जरूर सुनी होगी क्योंकि यह ऐसी कहावत है जो कि एकदम सामान्य बोलचाल में भी उपयोग किया जाता है।

और यह कहावत इतनी ज्यादा पॉपुलर है कि इनका प्रयोग टीवी सीरियल और फिल्मों में भी देखने को मिलता है कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली मुहावरे का संबंध मध्यप्रदेश के भोपाल और वही के धार जिला से संबंधित है।

जिसको पहले धारा नगरी कहा जाता था जिसका राजा, भोज (Raja Bhoj History) होता था जो अद्भुत शक्ति के ज्ञानी थे।

Raja Bhoj को वास्तुशास्त्र, व्याकरण, आयुर्वेद, योग साहित्य, धर्म ग्रंथ से लेकर बहुत से चीजों की महारत हासिल थी।

इस कहावत की आरंभ जब कलचुरी नरेश और चालू का नरेश दोनों मिलकर राजा भोज को युद्ध में हराना चाहते थे लेकिन वह लोग नाकाम रह गए।

इसी के चलते लोगों ने उपहास में इस कहावत की शुरुआत की जो संस्कृत में बोला गया था जो कि आगे चलकर एक सामान्य बोलचाल की भाषा बन गई तो चलिए अब विस्तार से राजा भोज का इतिहास और मुहावरे के (Meaning) बारे में जानते हैं।

राजा भोज
राजा भोज

राजा भोज की कहानी, इतिहास, हिस्ट्री (Raja Bhoj History In Hindi)

पूरा नाम (Real Name)परमार भोज
पिता का नाम (Father Name)सिंधूराज
माता का नाम (Mother Name)सावित्री
जन्म (Date Of Birth )10 वी शताब्दी, धार मध्यप्रदेश
धर्म (Religion)हिन्दू
पत्नी का नाम  (Marital Status/Wife)लीलावती
शासन कालसन 1010 से 1055 ईस्वी (परमार वंश का नौवा राजा)
मृत्यु (Death)1055 ईस्वी, धार, मध्यप्रदेश

राजा भोज का नाम आज हर क्षेत्र में प्रसिद्ध है इसकी लगभग हर जगह प्रशंसा होती है और कहा जाता है कि इनके प्रशंसक देश विदेशों में भी है।

इनके प्रशंसकों की कमी नहीं है राजा भोज बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजा में से एक थे इनके पास शस्त्रों के अलावा हर तरह के शास्त्रों का ज्ञान, वास्तु शास्त्र, व्याकरण, आयुर्वेद, योग साहित्य और धर्म ग्रंथ इन सबके ज्ञानी थे।

राजा भोज परमार या पंवार वंश के नौवें राजा में से एक थे इनका शासन काल सन 1010 से 1055 ईसवी तक रही है।

और परमार वंश की बात करें तो इनका शासनकाल 8 वीं शताब्दी से लेकर 14 वी शताब्दी तक रहा है।

राजा भोज का शासन काल 10वीं और 11वीं शताब्दी में रहा है तो इस तरह से हम संक्षिप्त में राजा भोज (Raja Bhoj) के बारे में जान लिए हैं।

राजा भोज की धारा नगरी (Dharanagri)

कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली का संबंध पूरी तरह से भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य से है तो इसी की राजधानी भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिला ही राजा भोज की धारा नगरी कहा जाता है राजा भोज ने ही इस नगरी को बसाई है।

प्राचीन समय 11 वीं सदी में यह शहर मालवा की राजधानी भी रह चुकी है।

मुहावरे का भोपाल से संबंध

इस कहावत के बारे में बहुत रोचक बात यह है कि भोपाल (Bhopal) का नाम पहले एक जमाने में भोज पाल हुआ करता था और धीरे-धीरे कुछ समय बाद ‘ज’ को हटा दिया गया जो एक रहस्य रह गया है कि किस कारण ‘ज’ को हटाया गया है तो इस तरह से भोज पाल का नाम भोपाल हो गया।

अगर आप कभी भी भोपाल जाते हैं तो आपको भोपाल में भी वीआईपी रोड से भोपाल शहर प्रवेश करने पर राजा भोज का एक विशाल मूर्ति का दर्शन होगा जोकि कई वर्षों पहले यह प्रतिमा बनाई गई थी।

राजा भोज का शासनकाल

11 वीं सदी में Raja Bhoj अपने 40 साल के शासनकाल में बहुत सारे मंदिरों और इमारतों का निर्माण कराया था उसी में से एक भोजशाला भी है।

जिसके बारे में हमें इतिहास (History) के पुस्तकों में भी पढ़ने को मिलता है कहा जाता है कि इस भोजशाला में महाराजा ने सरस्वती माता जी की प्रतिमा स्थापित की थी जोकि अंग्रेजो ने छीन कर लंदन ले गया है जो आज भी लंदन में स्थित है।

कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली मुहावरे का अर्थ (Kaha Raja Bhoj Kaha Gangu Teli Meaning)

हमने पूरी तरह से इनके बेसिक जानकारी कवर कर चुके हैं अब आपको आसानी से समझ आ जाएगा कि यह कहावत कैसे इतनी प्रचलित हो गई।

महाराजा भोज इतने अद्भुत शक्ति के ज्ञानी और चारों तरफ से प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले बहुमुखी राजाओं में से एक थे लेकिन आपने कभी ना कभी कलचुरी नरेश का नाम जरूर सुना होगा जो दक्षिण के राजा थे।

तो इसी राजा ने चालूका नरेश के साथ मिलकर Raja Bhoj पर आक्रमण कर दिया लेकिन कलचुरी नरेश राजा भोज के सामने नहीं टिक पाए और युद्ध में हार झेलनी पड़ी तो लोगों ने ऐसी उपहास में कहां राजा भोज कहां गांगेय तेलंग कह दिया।

गंगू अर्थात गांगेय कलचुरी नरेश

तेली अर्थात तेलंग चालूका नरेश

तो इस तरह से हिंदी में इसका अर्थ (Meaning In Hindi) है कहा राजा भोज और कहां गंगू तेली होता है जो कि आगे चलकर लोग सामान्य बोलचाल की भाषा में भी बोलने लगे एक कहावत प्रसिद्ध हुई

राजा भोज की मृत्यु (Raja Bhoj Death)

बहुमुखी प्रतिभा के ज्ञानी और चारों तरफ प्रशंसा के धनी राजा भोज अपने वंश के नौवें राजा के रूप में शासन किया जोकि 10वीं से 11वीं शताब्दी तक रही तो इनकी मृत्यु की बात करें तो 1055 ईसवी में इनकी मृत्यु हुई थी।

तो दोस्तों आपको यह कहावत कैसी लगी Kaha Raja Bhoj Kaha Gangu Teli History In Hindi और Raja Bhoj Ki Kahani हमें जरूर बताएं और आपको पूरी तरह से समझ आ गई है तो यह जानकारी अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें क्योंकि ऐसी अनमोल जानकारी आपको शायद ही जानने को मिलेगी.

आपका प्रेम पूर्वक धन्यवाद,

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