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महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य की Famous कवयित्री के रूप में जानते हैं इनका जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
बचपन से ही इनका जीवन संघर्ष भरा रहा है 9 वर्ष की आयु में डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा से इसकी बाल विवाह हुई थी उसके बाद से महादेवी वर्मा का जीवन और संकट में आ गया और इनको पढ़ाई भी कुछ समय तक रोकनी पड़ी थी।
Mahadevi Verma की Education की बात करें तो इन्होंने संस्कृत से एम ए किया है लेकिन इन्होंने स्कूली पढ़ाई के दौरान ही 7 वर्ष की आयु में कविता लिखना चालू कर दी थी और इस तरह से 1925 तक भारत की एक सफल कवित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थी ।
महादेवी वर्मा को Hindi Sahitya में आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है और इसी के साथ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने इनको सरस्वती भी कहा है।
Mahadevi Verma ने हिंदी साहित्य की Bhasha Shaili मे खड़ी बोली का विकास किया और इनकी भाषा शैली रोला तथा हरिगीतिका छंद के साथ कोमल शब्दावली और साथ में ब्रजभाषा के साथ होती है।
इन्होंने अपने जीवन में कई अवार्ड भी अपने नाम किए हैं जिसमें से 1956 में पद्म भूषण, 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार शामिल है तो आइए अब इसकी पूरी जीवन परिचय के साथ रचनाएं और कविता के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
Table of Contents
महादेवी वर्मा बायोग्राफी, Biodata, Rachnaye, Kavita (Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay)
पूरा नाम (Full Name) | महादेवी वर्मा |
पिता का नाम (Pita ka Naam) | गोविंद प्रसाद वर्मा |
माता का नाम (Mata Ka Naam) | हेमरानी देवी |
जन्म (jaman Thithi) | 26 मार्च 1960 |
जन्म स्थान (Birthplace) | फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
Caste (Cast) | ज्ञात नहीं |
पति (Marriage) | स्वरूप नारायण वर्मा |
शिक्षा (Education) | M.A. संस्कृत इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
मृत्यु (Mrityu) | 4 सितंबर 1987 (80 वर्ष) |
जन्म (Mahadevi Verma Ka Janam)
इनका जन्म 26 मार्च 1960 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था और इनका बचपन शादी से पहले पूरा यही गुजरा है।
परिवार (Mahadevi Verma Ka Parivar)
महादेवी वर्मा का परिवार समानत: हिंदू धर्म से संबंधित रखते हैं जिसमें इसके पिता जी का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा थे जो भागलपुर कॉलेज में प्रधानाध्यापक के पद पर अपनी सेवा प्रदान किए हैं ।
इसके माता जी का नाम हेमरानी देवी थी जो काफी धर्म परायण महिलाओं में से एक थी, कहां जाता है कि इनके परिवार में 200 वर्षों लगभग 7 पीढ़ी के बाद पहली बार कन्या रत्न की प्राप्ति हुई थी ।
इसीलिए इसके पिता जी ने महादेवी वर्मा को देवी कहकर पुकारने लगे और इसी के साथ इनका नाम भी महादेवी वर्मा रखा गया था।
इनके Family में इनके माता-पिता के स्वभाव विपरीत थे जिसमें इनकी माताजी काफी धार्मिक महिला थी जो रामायण भागवत और बहुत सारे धर्म ग्रंथ की पढ़ाई करती थी । और इसी के हिसाब से आचरण अपने जीवन में उतारती थी ।
लेकिन इसके विपरीत इसके पिता जी गोविंद प्रसाद वर्मा बड़े नास्तिक स्वभाव के थे वह मांसाहारी भौतिकता वादी सुख विचार वाले थे इनके परिवार में इनके माता-पिता के अलावा इनकी एक भाई और एक बहन भी रहती थी।
महादेवी वर्मा की पढ़ाई (Education, Padhai)
इनका पढ़ाई जीवन मिशन स्कूल इंदौर से शुरुआत हुई और यही अपनी करियर की शुरुआत 7 वर्ष की आयु में कविता लिखना स्टार्ट कर दी थी ।
लेकिन इनके परिवार वालों ने इनका 9 वर्ष की आयु में बाल विवाह करवा दिया जिसके चलते कुछ वर्ष तक इनकी पढ़ाई रुक गई।
इन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए 1919 में प्रष्थ्वेत कॉलेज, इलाहाबाद में दाखिला लिया जिसके चलते इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा संस्कृत में m.a. पूरा किया।
Mahadevi Verma अपने पूरे करियर में शुरुआत से अंतिम समय तक प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य भी रही है।
विवाह (Mahadevi Verma Ka Vivah Kab Hua)
इनका विवाह 9 वर्ष की आयु में स्वरूप नारायण वर्मा के साथ बाल विवाह हुआ था और यहीं से इनकी संघर्षमय जीवन की शुरुआत भी हुई थी लेकिन महादेवी वर्मा जीवन भर एक अविवाहिता की भांति जीवन बिताई है, दोनों पति पत्नी साथ बहुत कम रहा है।
महादेवी वर्मा की भाषा शैली (Bhasha Shaili)
इनकी भाषा शैली कोमल शब्दावली में होती है इन्होंने हिंदी साहित्य में खड़ी बोली का भी विकास किया है इनकी भाषा में आपको ब्रजभाषा के साथ रोला तथा हरिगीतिका छंद का समावेश देखने को मिलता है ।
अपने 7 वर्ष की आयु में कविता लिखने की कला में इतनी मग्न हो गई कि इनकी जो भी कविता गद्य, पद्य को पढ़ लेता है उनके मन में एक रोमांच पैदा होने लगता है ।
और सामान्य 10 साल के बच्चे भी इनके भाषा शैली को समझ सकते हैं इसीलिए इनको छायावादी कवयित्री में शामिल किया गया है और इनको हम भारत मे आधुनिक मीरा के नाम से भी जानते हैं।
महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय (Sahityik Parichay In Hindi)
इनका मुख्य साहित्यिक क्षेत्र काव्य है और इन्होंने सबसे ज्यादा प्रसिद्धि गद्य रचनाओं में की है, Maha devi Verma को हिंदी साहित्य में रहस्यवाद की प्रवर्तिता मानी जाती है।
इन्होंने अपनी रचनाओं में नारी जगत की समस्याओं का भी उल्लेख काफी मर्म भाव से किया है अतीत के चलचित्र और स्मृति की रेखाएं इनकी सबसे प्रसिद्ध Gadya रचनाओं में से एक है ।
महादेवी वर्मा को छायावादी युग की कवित्री मानी जाती है और इनको आधुनिक युग का मीरा भी कहा जाता है ।
इनकी ज्यादातर Sahitya रहस्यवाद और प्रकृतिवाद पर आधारित होती है जिसमें लाक्षणिकता और व्यंजनकता की कमी देखी जाती है ।
इनकी Sahityik Rachna में कोमल शब्दावली देखने को मिलता है इनको संस्कृत विषय का भी अच्छी खासी जानकारी थी।
महादेवी वर्मा की कहानी, Stories (Mahadevi Verma Ki Kahani)
इनका जीवन बचपन से ही संघर्षमय रहा है इनके जीवन से आपको बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा महादेवी वर्मा 7 वर्ष की आयु से कविता लिखना चालू कर दी थी लेकिन इनके पिता जी गोविंद प्रसाद वर्मा ने इनकी अल्प आयु में डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा से बाल विवाह करवा दिया।
जो इनसे उम्र के हिसाब से काफी बड़े थे तो 9 वर्ष की आयु में विवाह होने के कारण इनका जीवन और कष्टमय हो गया क्योंकि इतनी छोटी उम्र में सब बच्चे ही होते हैं और आयु मे दुनिया के बारे में विवाह संस्कार के बारे में कुछ पता नहीं होता।
इसी कारण इसकी पढ़ाई कुछ वर्ष के लिए रुक गई विवाह के बाद पति और पत्नी दोनों साथ मे बहुत कम रहते थे इसी कारण Mahadevi Verma का पूरा जीवन एक अविवाहिता के तौर पर बीती है ।
शादी के कुछ समय बाद 1919 में इन्होंने प्रष्ठवेट कॉलेज, इलाहाबाद में दाखिला लिया और इसी बीच 1925 तक हिंदी साहित्य की एक सफल कवित्री बन गई थी ।
अपनी पढ़ाई में आगे इन्होंने संस्कृत के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से m.a. पूरा किया महादेवी वर्मा ने अपने करियर में शुरुआत से अंत तक प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य के पद पर रही है।
आज के समय में महादेवी वर्मा को हम हिंदी साहित्य की प्रवर्तिता और आधुनिक मीरा के नाम से जानते हैं अपने जीवन काल में महादेवी और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला दोनों Chhayavadi कवि का संबंध भाई और बहन का रहा है तो इस तरह से इनकी कहानी रही है।
महादेवी वर्मा की रचनाएँ (Mahadevi Verma Ki Rachnaye)
एक सफल और Famous कवित्री होने के नाते इनकी बहुत सारी रचनाएं देखने को मिलता है इसके साथ-साथ वर्मा विशिष्ट गद्यकार भी थीं। उनकी कृतियाँ इस प्रकार हैं-
कविता संग्रह (Poem, Poetry)
नीहार | 1930 |
रश्मि | 1932 |
नीरजा | 1934 |
सांध्यगीत | 1936 |
दीपशिखा | 1942 |
सप्तपर्णा | 1959 |
प्रथम आयाम | 1974 |
अग्निरेखा | – |
महादेवी वर्मा का गद्य साहित्य (Gadya Rachnaye)
इनहोने गद्यांश और पद्यांश की रचनाएं लिखी थी लेकिन अपने जीवन में गद्य रचनाओं में सबसे ज्यादा प्रसिद्धि प्राप्त की है कुछ प्रमुख गद्य रचनाएं इस प्रकार है-
अतीत के चलचरित्र |
क्षन्द |
मेरा परिवार |
पथ के साथी |
साहित्यकार की आस्था |
संकल्पित |
समभासन |
श्रृंखला की कड़ियाँ |
स्मृति की रेखाएं |
महादेवी वर्मा अवार्ड (Award)
हिंदी साहित्य की एक सफल कवित्री होने के नाते इन्होंने अपने जीवन में कई मुकाम और पुरस्कार हासिल किए हैं जिसमें से प्रमुख इस प्रकार है-
सक्सेरिया पुरस्कार | 1942 |
भारत भारती | 1943 |
पदम भूषण पुरस्कार | 1956 |
ज्ञानपीठ पुरस्कार | |
डी.लिट की उपाधि | 1984 (BHU) |
पढ्म विभूषण | 1988 (मृत्यु के बाद) |
महादेवी वर्मा की मृत्यु (Mahadevi Verma Death In Hindi)
हिंदी साहित्य की छायावादी कवित्री ने अपने जीवन में बहुत सारी रचनाएं की है इसी के चलते इन्होंने बहुत सारे अवार्ड भी अपने नाम किए हैं और 4 सितंबर 1987 को 80 वर्ष की आयु में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इसकी मृत्यु हुई थी।
महादेवी वर्मा की कुछ रोचक बातें (Facts)
इन्होंने मात्र 7 वर्ष की आयु में कविता लिखना चालू कर दिया था और 1925 के आते-आते महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की एक सफल कवित्री के रूप में जानने लगे।
इनके और Facts की बात करे तो महादेवी वर्मा का विवाह 9 वर्ष की आयु में बाल विवाह कर दिया गया था जब उस समय इनको शादी विवाह घर संसार इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था और इसी के कारण इनके जीवन मे संकट और बढ़ने लगी थी।
हर व्यक्ति के जीवन में संकट तो आता ही है उसी तरह Maha devi Verma के जीवन में भी संकटों का पहाड़ छाने लगा था फिर भी इन्होंने अपना काम जारी रखा और एक सफल कवित्री के रूप में गिनी जाती है।
महादेवी वर्मा अपने जीवन काल में शुरुआत से अंत तक प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य रही है।
महादेवी वर्मा और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का भाई-बहन जैसा रिश्ता रहा है और दोनों को हम छायावादी कवि और कवित्री के रूप में जानते हैं।
Mahadevi Verma की सबसे रोचक बात यह है इनहोने हिंदी साहित्य जगत में खड़ी बोली का विकास किया है।
Conclusion
तो आपको महादेवी वर्मा के जीवन से क्या सीख मिली है हमें जरूर बताएं और आपको महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay) कैसा लगा अपनी राय कमेंट में जरूर बताने का प्रयास करें और कुछ इसमें छूट गया होगा तो भी बताएं जिससे आगे चलकर हम इसमें कुछ सुधार कर सकें और जानकारी लोगों के साथ शेयर जरूर करें।
आपका प्रेम पूर्वक धन्यवाद,
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