पंडित प्रदीप मिश्रा की कुछ रोचक बातें इतना लोकप्रिय क्यों | Pandit Pradeep Mishra Fact

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प्रसिद्ध कथा के साहित्यकार पंडित प्रदीप मिश्रा जी के बारें में आज कौन नहीं जानता है ।

आप सब ने उन्हें आस्था चैनल पर वेदों और कथाओं की अलग अलग कहानियाँ सुनाते तो जरुर ही देखा होगा ।

ये अक्सर लोगों को शिव जी के मूलमंत्र ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ का जाप करने की सलाह देते है, जिससे उन्हें अपने धर्म, अपने देवी – देवताओं से जुड़े रहने का और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी मिलती है ।

और इसलिए आज हम उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य और टोटकों के बारे में आपको जानकारी देने की कोशिश करेंगे। जो की कही न कही आप लोग के लिए काफी मददगार शाबित होगा ।

पंडित प्रदीप मिश्रा के प्रसिद्धि का कारण (Why Pt. Pradeep Mishra so famous ?)

दोस्तों प्रदीप मिश्रा एक बहुत ही मंझे हुए भजनकार, गीतकार और कथावाचक है । जिन्हें लोग उनके कथाओं और भजन के लिए बेहद पसंद करते है ।

मध्य प्रदेश के Sehore के रहने वाले प्रदीप मिश्रा एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक गुरु भी है । आप सब ने उनके भजन, उनकी कथा फेसबुक, युटुब और आस्था चैनल पर जरुर से ही देखा होगा । 

साल 2013 में ही वो अपना घर बार छोर कर कई दूर जाकर कथावाचक बन गए थे ।

और इस दौरान 9 सालों तक उनकी पत्नी ने उन्हें तलाश किया था और अंततः उनकी मुलाकात सीहोर के कुबुरेश्वर मंदिर में हुआ था । जहाँ वो अपने पिता के साथ भगवान् शिव की कथा सुनने आई थी ।

उनके प्रसिद्धि के पीछे का एक महत्वपूर्ण कारण है, उनका अपने कथाओं से लोगो को सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करना ।

अक्सर उनके द्वारा सुनाये गए कथा और प्रवचन, एक आम आदमी के जीवन में बहुत ही ज्यादा परिवर्तन लाती है ।

उनकी कथाओं न ही देश में, बल्कि विदेशों में काफी प्रचलित मानी जाती है ।

वैसे अगर आप भी Pradeep Mishra की कथाओं को सुनना और देखना चाहते है तो आप अपने टीवी में आस्था चैनल लगा कर इनके प्रोग्राम को देख सकते है और उनके शिव कथाओं का आनंद प्राप्त कर सकते है ।

पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा किये गए धार्मिक कार्य (Pt. Pradeep Mishra religious work)

पंडित प्रदीप मिश्रा का अपने धर्म के प्रति शुरुआत से ही बहुत बड़ा योगदान रहा है । वो अपनी कथाओं से लोगों को हिन्दू धर्म से जोड़े रखने का काम तो करते ही है, पर साथ ही उन्हें हिन्दू धर्म के महत्व को भी समझाने का कार्य करते है ।

जिसे सुनने के बाद हर व्यक्ति जो एक हिन्दू है, उन्हें खुद के हिन्दू होने पर गर्व महसूस होता है ।
पंडित प्रदीप मिश्रा की वजह से ही आज लाखों की संख्या में लोग, जो अपने धर्म से दूर हो गये थे, एक बार फिर उनमे अपने धर्म के प्रति श्रद्धा उमरने लगी है ।

उन्होंने उन सभी के तार एक बार फिर मंदिर से जोड़ दिए है ।

और यह किसी बड़े धार्मिक कार्य से कम नहीं है ।

पंडित प्रदीप मिश्रा के टोटके (Pt. Pradeep Mishra Totke tricks) 

पंडित प्रदीप मिश्रा अपने कथावाचन के दौरान कई टोटके लोगों के साथ साझा करते है, जिससे उनके कई समस्याओं का हल भी निकल जाता है ।

और इसलिए आज हम आपको उनके कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण totke के बारे में बतायेंगे ।

  • उनके अनुसार कभी भी किसी भी मनुष्य को मंगल वार के दिन कर्ज नहीं लेना चाहिए । और अगर आपने पहले से कोई कर्ज ले रखा है तो उसकी पहली किस्त वापस मंगलवार के दिन से ही देना शुरू करें ।
  • अगर आपके भी घर में धन और वैभव की कमी है तो पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते ही की, शिवलिंग पर बेलपत्र चढाने से आपके इन सब समस्याओ का निदान हो सकता है।
  • अगर आप तीन बेल पत्र शिवलिंग पर चढाते है तो आपके घर में वैभव का वास होगा और श्रावन के सोमवार से साल भर सोमवार को 108 बेल पत्र चढाने से अधिक से अधिक लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । 
  • बुधवार के दिन कभी भी किसी भी व्यक्ति को कर्ज नहीं देना चाहिए, क्युकी ऐसा करने से आपका धन डूब भी सकता है । इसलिए सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए ।
  • वही अगर आप ताम्र के लोटे में 1 बेलपत्र और शक्कर और जल भरकर शिवलिंग पर रामेश्वरम का नाम लेकर चढाते है और चनाम्रित का सेवन करते है तो आपका हर काम वक़्त पर पूरा होगा ।
  • शिवलिंग पर चढ़ाई गई तुलसी के दल, अगर आप अपने बच्चों को सुबह में , दोपहर में और शाम में सेवन करने को देते है तो आपके बच्चे पढने में होशियार और बुद्धिमान होंगे ।

पंडित प्रदीप मिश्रा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Interesting facts about Pt. Pradeep Mishra) 

  • Pradeep Mishra ji सबसे ज्यादा प्रवचन में शिवपुराण की कथा सुनाते है ।
  • शिव पुराण की कथा के साथ साथ ये लोगों को बहुत से टोटके भी बताते है जो उन्हें उनकी परेशानी दूर करने में काफी मददगार शाबित होती है ।
  • पंडित प्रदीप मिश्रा का जन्म 1980 में मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में हुई थी । इसलिए इनको Sehore Wale के नाम से भी जाना जाता है।
  • Pradip Mishra का जन्म घर के आँगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ था क्युकी अस्पताल में जाने के लिए उनके परिवार के पास उतने पैसे नहीं थे ।
  • उनके पिता स्वर्गीय रामेश्वर मिश्रा पढ़ नहीं पाए थे और इसलिए वो चने का ठेला लगाया करते थे । और उन्होंने बाद में चाय की टपरी भी लगे थी । जिसपे अक्सर खुद प्रदीप मिश्रा कम करने जाते थे ।
  • सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने के लिए प्रेरित किया था ।
  • वो अक्सर ये कहते है की आस्था और अंधविश्वास में अंतर है, इसलिए अगर कोई इश्वर को याद करना चाहते है तो जरुर नहीं है की वो उन्हें बेलपत्र, फूल या दूध चढ़ाये । वो अपने घर में रह कर भी इश्वर का स्मरण कर सकता है । 

दोस्तों, पंडित प्रदीप मिश्रा जैसे कथावाचक, सालों सालों में एक बार ही जन्म लेते है । और इनका इस धरती पर जन्म के पीछे कोइ न कोई अच्छी बात जरुर जुडी होती है । 

तो अगर आप भी कथावाचन या प्रवचन सुनना पसंद करते है तो आस्था चैनल पर जाके आप इन्हे और इनके अनमोल वचनों को सुन सकते है । 

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