Tulsidas Ka Jivan Parichay Hindi Rachnaye Janam Mrityu goswami jivani sahityik parichay, गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ jeevan, kavi साहित्यिक परिचय बचपन short mein jivan bataiye bachpan अंतिम रचना इन हिंदी bataiye पीडीएफ लिखिए शार्ट likhiye दीजिए rachna
तुलसीदास जी को हम हिंदू कवि और संत के रूप में जानते हैं इन्होंने भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना की है ।
Tulsidas भक्ति काल में राम भक्ति शाखा के राम की भक्ति के लिए काफी ज्यादा मशहूर कवि है इनके जन्मतिथि को लेकर अलग-अलग अवधारणा प्रस्तुत की गई है फिर भी इनका जन्म संवत 1568 में राजापुर, बांदा उत्तर प्रदेश को माना जाता है ।
तुलसीदास का जन्म के बाद अनाथों की तरह जीवन रहा है क्योंकि जन्म के 2 दिन बाद इसकी माता जी की मृत्यु हो गई ।
Tulsi Das जी का जीवन काल बहुत लंबे समय 126 वर्षों का रहा है जिसमें इन्होंने 22 कृतियों की रचनाएं की है ।
इनके जीवन में इनके गुरु नरहरी दास और आचार्य रामानंद जी रहे हैं और इसकी सबसे प्रसिद्ध रचना रामचरितमानस, कवितावली, दोहावली और हनुमान चालीसा है।
तो चलिए अब तुलसीदास जी का जीवन परिचय, इनकी रचनाएं और इनकी जीवन गाथा को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं।
Table of Contents
तुलसीदास की जीवनी, Biodata, Information (Tulsidas Biography In Hindi)
पूरा नाम (Full Name) | गोस्वामी तुलसीदास |
पिता का नाम (Pita ka Naam) | आत्माराम दुबे |
माता का नाम (Mata Ka Naam) | हुलसी देवी |
जन्म (jaman Thithi) | संवत 1568 |
जन्म स्थान (Janam Sthan) | राजापुर, बांदा, उत्तर प्रदेश |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
Caste (Cast) | ज्ञात नहीं |
पत्नी (Wife, Marriage) | रत्नावली |
प्रमुख रचनाए (Rachnaye) | रामचरितमानस
दोहावली कवितावली गीतावली विनयपत्रिका हनुमान चालीसा |
शिक्षा (Education) | वेदशास्त्र |
मृत्यु (Mrityu) | सन 1923 संवत 1680 (126 वर्ष) |
तुलसीदास जी का जन्म (Janam Aur Janam Sthan)
Kavi Tulsi Das का जन्म संवत 1568 में राजापुर, बांदा, उत्तर प्रदेश में हुआ था लेकिन इनके janam tithi को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है क्योंकि आपको अलग-अलग जगहों पर इनकी जन्म तिथि अलग अलग देखने को मिलेगी क्योंकि यह एक अनुमान लगाया गया है कि इनका जन्म इस संवत के आसपास हुआ होगा।
तुलसीदास जी का बचपन (Tulsidas Ka Bachpan)
इनका बचपन शुरू से ही संघर्षमय रहा है इन्होंने जन्म के समय सबसे पहला शब्द राम बोला था रोया नहीं था लेकिन ज्यादातर बच्चे जन्म के समय सबसे पहले रोते ही हैं।
जन्म के 2 दिन बाद इनकी माता जी हुलसी देवी का निधन हो गया जिसके चलते इसके पिताजी आत्माराम दुबे ने इनको चुनिया नाम की दासी को सौंप दिया ।
और कहा जाता है कि 5 वर्ष बाद उस दासी की भी मौत हो गई जिस कारण तुलसीदास अनाथो की तरह इधर-उधर भटकने लगे थे और जीवन तो जीना ही था।
तुलसीदास का विवाह (Goswami Tulsidas Ka Vivah, Wife)
गोस्वामी तुलसीदास का विवाह ज्येष्ठ माह की पुण्यतिथि मे सन 1583 में 29 वर्ष की आयु में रत्नावली के साथ हुआ था जिसमें से इसके 1 बच्चे भी थे जिसका नाम तारक था।
कहा जाता है कि तुलसीदास अपनी पत्नी रत्नावली से बहुत प्रेम करता था और उसके लिए कुछ भी त्याग कर सकता था।
एक बार की बात है जब रत्नावली अपनी ससुराल चली गई थी तो Tulsidas मोह वस रात के 2 बजे भरी आंधी तूफान को लांघते हुए अपनी पत्नी के पास पहुंच गए। जिससे रत्नावली बहुत गुस्सा हो गयी थी।
तुलसीदास का साहित्यिक परिचय (Tulsidas Ka Sahityik Parichay)
Tulsi Das चित्रकूट में स्मारक बनवाया है जिसके कुछ वर्षों बाद यह बनारस में आकर रहने लगे जिसको अभी हम वाराणसी उत्तर प्रदेश के नाम से जानते हैं.
यही रह कर गोस्वामी तुलसीदास ने बहुत सारी कविताएं लिखी है कहा जाता है कि भगवान शिव ने काशी में रहकर कविताएं लिखने को कहा है और यही इनको भगवान शिव का साक्षात दर्शन भी हुआ है.
इन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे ग्रंथो का संस्कृत से हिंदी अनुवाद किया है चाहे वह महाकाव्य हो कोई ग्रंथ हो और भी बहुत सारे जिस को एकदम सरल और लोक भाषा में लिखा गया है।
तुलसीदास की भाषा शैली (Tulsi Das Ki Bhashashaili)
इनकी ज्यादातर भाषा शैली लोक भाषा में होती है तो यूं कहे तो जिस क्षेत्र में जैसी भाषा बोली जाती है उसी भाषा में इसकी Rachnaye होती है।
इन्होंने ज्यादातर अवधी और ब्रज भाषा का प्रयोग किया है जिसमें से Ramcharitmanas अवधी भाषा में लिखा गया है और वही विनय पत्रिका, दोहावली, कवितावली ब्रज भाषा में लिखा गया है।
इनके काव्य में आपको संस्कृत भी कहीं कहीं देखने को मिलता है तुलसीदास ने अपनी भाषा शैली में हास्य रस, वीर रस, करुण रस का काफी ज्यादा उपयोग किया है जिससे भाषा एकदम सरल हो सके।
अलंकार में इन्होंने सबसे ज्यादा उपमा, उत्प्रेक्षा और अनुप्रास अलंकार का उपयोग किया है।
इनकी भाषा में छंद की बात करें तो इन्होंने दोहा छंद, चौपाई छंद, सवैया छंद और छप्पय छंद का सबसे ज्यादा उपयोग किया है जिससे लोगों को इनकी रचनाएं और काव्य पढ़ने में काफी मजा और रोमांचकता आने लगती है।
तुलसीदास की रचनाएं (Tulsidas Ki Rachnaye)
इन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी काव्य रचनाएं की है जिसमें से शुरू के पांच रचनाएं इसकी सबसे ज्यादा प्रसिद्धि वाली रचनाएं हैं जो हर जगह पहुंची है और विनय पत्रिका को इन्होंने अपने मृत्यु के क्षण में लिखा था और श्री राम भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया था।
रामचरितमानस | |
1. | दोहावली |
2. | कवितावली |
3. | गीतावली |
4. | हनुमान चालीसा |
5. | विनयपत्रिका |
6. | रामललानहछू |
7. | वैराग्य-संदीपनी |
8. | बरवै रामायण |
9. | पार्वती-मंगल |
10. | जानकी-मंगल |
11. | रामाज्ञाप्रश्न |
12. | श्रीकृष्ण-गीतावली |
13. | सतसई |
14. | छंदावली रामायण |
15. | कुंडलिया रामायण |
16. | राम शलाका |
17. | संकट मोचन |
18. | करखा रामायण |
19. | रोला रामायण |
20. | झूलना |
21. | छप्पय रामायण |
22. | कवित्त रामायण |
23. | कलिधर्माधर्म निरुपण |
तुलसीदास किसकी कविता है (Tulsidas Kiski Kavita Hai)
Tulsi Das भारत के जाने-माने छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक कृति है जिसको इन्होंने काफी सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है निराला जी हिंदी के एक साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते हैं जिसका महादेवी वर्मा के साथ भाई जैसा रिश्ता रहा है।
तुलसीदास की मृत्यु (Tulsi Das Ki Mrityu)
Tulsidas का जीवन काल बहुत बड़ा 126 वर्षों का रहा है एक दिन तुलसीदास भारत के प्रसिद्ध असी घाट पर थे तभी उनको अचानक पीड़ा महसूस होने लगी उसी समय गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी का ध्यान लगाया और उनके दर्शन किए ।
फिर पीड़ा सहते हुए उन्होंने अंतिम रचना विनय पत्रिका लिखा और उसी समय भगवान श्री राम उनके सामने प्रकट हो गए और अपनी रचना को उनके चरणों में सौंप दिया और कहा जाता है कि उनकी रचना में स्वयं भगवान राम ने हस्ताक्षर भी किया है फिर उसी समय सन 1923 संवत 1680 को काशी घाट में उनकी मृत्यु हो गई।
तुलसीदास की कुछ रोचक बातें (Facts)
इनका सबसे बड़ी रोचक बात करें तो जन्म के बाद इन्होंने सबसे पहला राम शब्द बोला था और रोया बिल्कुल नहीं था जिसके चलते बचपन में इसका नाम राम बोला रख दिया गया।
जन्म के बाद Tulsi Das का जीवन बहुत संकटमय हो गया जिसके चलते इनको अनाथों की तरह जीवन व्यतीत करना पड़ा था क्योंकि जन्म के 2 वर्ष बाद इनकी माता जी की मृत्यु हो गई जिसके चलते इनके पिता जी ने इनको दासी के हाथों सौंप दिया और कुछ वर्षों बाद उस दासी की भी कुछ कारणवश मृत्यु हो गई थी।
Tulsidas की और रोचक बातें करें तो विवाह के बाद तुलसीदास काफी कामुकता स्वभाव के व्यक्ति थे इसी कारण रात के 2 बजे भारी आंधी तूफान होने के कारण भी अपनी पत्नी के मायके पहुंच गया था।
गोस्वामी तुलसीदास की और रोचक बातें करें तो यह पहले बड़े मूर्ख व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे क्योंकि एक बार इन्होंने पेड़ काटने के समय जिस डाल पर बैठा था उसी डाल को काटने लगा था इनको इतनी समझ ही नहीं थी कि जो डाल कटने वाली है उनके साथ वह भी गिरने वाला है।
Kavi Goswami Tulsidas का ज्यादातर जीवन चित्रकूट, काशी और अयोध्या में बीता है और काशी में रहते हुए इन्होंने बहुत सारी रचनाएं भी की है।
Tulsi Das की और रोचक बातें करें तो इनका जीवन काल काफी लंबा रहा है जब इनकी मृत्यु हुई तब इनकी आयु लगभग 126 वर्ष हो चुकी थी।
तुलसीदास को रामचरितमानस लोक ग्रंथ लिखने में लगभग 2 वर्ष 7 महीने और 26 दिन का समय लगा था जो आगे चलकर काफी ज्यादा प्रचलित हुई जिससे हमको Ramcharitmanas को एकदम सरल शब्दों में पढ़ने को मिलता है।
तो दोस्तो तुलसीदास जीवन के जीवन आपको क्या सीखने को मिली हमे जरूर बताए और अगर आपको तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Ka Jivan Parichay) पसंद आया है तो अपने दोस्तो मे शेयर करे।
आपका प्रेमपूर्वक धन्यवाद,
तुलसीदास से संबंधित आपके सवाल
तुलसीदास की अंतिम रचना कौन सी है?
इनकी अंतिम रचना विनय पत्रिका है जो इन्होंने अपने जीवन के आखिरी क्षण में लिखा था जो लोगों में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
तुलसीदास का विवाह कब हुआ?
इनका विवाह सन 1583 में जयेष्ठ माह की पुण्यतिथि में 29 वर्ष की आयु में रत्नावली के साथ हुआ था।
तुलसीदास के शिक्षा गुरु कौन थे?
तुलसीदास के गुरु नरहरिदास बाबा थे जिनसे इन्होंने शिक्षा ली थी।
तुलसीदास के बचपन का नाम क्या था?
इनके बचपन का नाम रामबोला था क्योंकि तुलसीदास ने जन्म के समय सबसे पहला राम शब्द बोला था।
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